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जमींन प्रॉपर्टी से सम्बंधित किसी भी समस्या अथवा विवाद का हल देने की सेवाओ के लिए संपर्क करे.

क्या आप अपनी प्रॉपर्टी में मुश्किल पैदा करने वाले क़ानूनी नोटिस व उसकी पुलिस में शिकायत करना चाहते है?

क्या आप अपनी जमींन के विवरण को भुइयां में चढ़ाना चाहते है?

क्या आप अपनी जमींन का सीमांकन कराना चाहते है?

क्या आप अपने एक ही क्षेत्र के आने वाली जमींन के खसरो को मिला कर एक खसरे में सम्मिलन कराना चाहते है?

क्या आप किसी भूमि की रजिस्ट्री के पूर्व अकबार में विज्ञापन तथा सर्च रिपोर्ट निकलवाना चाहते है?

क्या आपकी जमींन पर अवैध कब्ज़ा है, जिसे छुडवाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाना चाहते है?

FAQ ?

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री कराने के बाद , नामांतरण क्यों कराना चाहिये ?

आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदने के बाद रजिस्ट्री करा ली है, लेकिन नामांतरण नहीं कराया है तो पछताना पड़ सकता है। दरअसल, नामांतरण नहीं होने के कारण राजस्व रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी विक्रेता के नाम ही दर्ज रहती है। वह चाहे तो इसकी रजिस्ट्री किसी अन्य व्यक्ति को कर सकता है । छ.ग. के राजस्व कोर्ट व दीवानी अदालतों में हज़ारों केसेस ऐसे चल रहे हैं जिनके अनुसार , रजिस्ट्री के पूर्व जिसके नाम से चढ़ी थी , उसने जानते – बूझते या नासमझी में फिर से किसी और के नाम रजिस्ट्री करवा दी . अब पूरा भुगतान कर , ज़मीन खरीद कर रजिस्ट्री कराने वाले मुश्किल में फंस गये हैं .

मैंने कई साल पहले ज़मीन की रजिस्ट्री करवायी परंतु नामांतरण नहीं कराया था , अब नामांतरण के लिये क्या करूं ?

सबसे पहले पटवारी रिकॉर्ड में देखें कि अभी भी ज़मीन , आपको प्रोपर्टी बेचने वाले के नाम से चढ़ी हुई है या नहीं ? यदि उसके नाम से चढ़ी हुई है तो आपका काम सरल हो जायेगा . आपको तहसीलदार के यहां , अपनी रजिस्ट्री व पूर्व मालिक के नाम से चढ़े कागज़ के साथ , निर्धारित फॉर्म में आवेदन करना होगा . उसके बाद तहसील न्यायालय अपनी प्रक्रिया करेगा , सूचना प्रकाशित कर दावा-आपत्ति मांगेगा . यदि निर्धारित अवधि में दावा-आपत्ति नहीं आती है तो वैधानिक प्रक्रिया पूरी कर वह आपके नाम से ज़मीन का नामांतरण कर देगा . परंतु यदि पटवारी के रिकॉर्ड में यदि किसी दूसरे का नाम चढ़ा हो तो फिर यह देखना होगा कि उस व्यक्ति की रजिस्ट्री आपसे पहले हुई है या बाद में . यदि पहले हुई है तो चेक करिये , कहीं आपके साथ धोखाधड़ी तो नहीं हुई है . क्योंकि विक्रेता ने आपसे पहले किसी और की रजिस्ट्री की थी फिर पूरा भुगतान लेकर आपको ज़मीन बेच दी . ऐसी स्थिति में आप पूरी तरह से ठगे जा चुके होंगे . आपको विक्रेता पर धोखाधड़ी व अपने पैसे वापसी के लिये कानूनी प्रक्रिया कर , अपने पैसे की वापसी का काम तुरंत शुरू करना चाहिये . इस कानूनी प्रक्रिया के बाद कोर्ट के निर्देश पर आपको पैसे वापस किए जा सकेंगे . दूसरी स्थिति ऐसी होगी जिसमें आपकी रजिस्ट्री के बाद , विक्रेता ने दूसरे को रजिस्ट्री की होगी . उस स्थिति में भी आपको कानूनी प्रक्रिया में जाना होगा परंतु इस प्रक्रिया के द्वारा आपकी ज़मीन आपके नाम पर चढ़ाई जा सकेगी . आपको तहसील के राजस्व न्यायालय व जिला कोर्ट के सिविल (दीवानी ) न्यायालय में समस्त कागज़ात के साथ मुकदमा चलाना पड़ेगा . फैसला , हमेशा पहले रजिस्ट्री कराये व्यक्ति के पक्ष में ही आता है परंतु इसके लिये समय व पैसा खर्च होता है . इसलिये हमेशा सलाह दी जाती है कि रजिस्ट्री होते ही साथ ज़मीन का नामांतरण की प्रक्रिया कर लेना चाहिये .

नामांतरण न होने पर भविष्य में क्या दिक्कतें आ सकती हैं?
  • संपत्ति बेचने में परेशानी हो सकती है
  • कानूनी विवाद हो सकते हैं
  • सरकारी योजनाओं और ऋण सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सकता

 

मैंने बिना सीमांकन कराये रजिस्ट्री करायी , अब मौके पर उतनी ज़मीन नहीं निकल रही है जितनी रजिस्ट्री में है ?

सीमांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जोकि राजस्व विभाग के पटवारी तथा राजस्व निरीक्षक के द्वारा , राजस्व रिकॉर्ड , नक्शे व मौके पर की निशानियों के आधार पर पांच लोगों की उपस्थिति में किया जाता है . विवाद की स्थिति में , राजस्व अधिकारी आज़ू बाजू वाली ज़मीन के मालिकों को भी , मौके पर उपस्थित रहने की सूचना देता है वर्ना अखबार में सूचना या नोटिस चस्पा के द्वारा भी सीमांकन किया जाता है . सीमांकन कर राजस्व अधिकारी मौके पर ज़मीन की स्थिति बताकर , नक्शे पर अंकित कर अपना प्रतिवेदन , राजस्व के के उच्चाधिकारी यानि तहसीलदार को देता है जोकि उसे प्रमाणित करता है . फिर वह कागज़ , कानूनी रूप ले लेता है यानि लीगल डॉक्यूमेंट बन जाता है . बिना नाप कराये रजिस्ट्री कराने से , विशेषतः कृषि भूमि में , ज़मीन कम या ज़्यादा निकलने की संभावना होती है . यदि ज़मीन का नाप , रजिस्ट्री के पहले करा लिया जाता है तो यह पता चल जाता है कि मौके पर ज़मीन ज़्यादा है या कम , उसी आधार पर पैसों का लेन देन किया जा सकता है . इन सबके बावजूद सीमांकन में आने वाले नाप में यदि ज़मीन कम है या रजिस्ट्री से ज़्यादा ज़मीन मौके पर मिलती है तो भी वैधानिक रूप से केवल रजिस्ट्री में अंकित , नाप ही कानूनी रूप से वैध माना जाता है . मौके पर व्यक्ति के कब्ज़े में ज़मीन कम या ज्यादा होने पर , व्यक्ति द्वारा अनुरोध किये जाने पर कानूनी कागज़ में ज़मीन की कमी को अंकित कराया जा सकता है परंतु अधिक ज़मीन को नहीं .

पटवारी कागज़ नहीं देता या सहयोग नहीं करता , ऐसी स्थिति में क्या करूं ?

तहसील कार्यालय में आप विधिवत आवेदन कर , उस कागज़ की मांग कर सकते हैं . पटवारी द्वारा कार्य ना करने की लिखित शिकायत , तह्सीलदार व एसडीएम/ कलेक्टर को कर सकते हैं . अपके प्रकरण की सुनवाई ज़रूर होगी

मेरी ज़मीन , भुईयां रिकॉर्ड में किसी और के नाम से दिखती है , जबकी रजिस्ट्री के बाद मैंने अपनी ज़मीन का नामांतरण करवा लिया था ?

उस खसरे के पटवारी के द्वारा , तहसीलदार को अपने समस्त कागज़ात के साथ आवेदन करें . यदि आप चाहें तो सीधे तहसीलदार के नाम से भी आवेदन कर सकते हैं . पूरे कागज़ व रिकॉर्ड चेक करने के बाद आपकी ज़मीन का आपके नाम से नामांतरण कर दिया जायेगा .

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