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सीमांकन क्या है , सीमांकन , क्यों कराया जाता है , सीमांकन कौन करता है
किसी भूमि का सीमांकन या ज़मीन का डिमार्केशन , राजस्व विभाग के अधिकारी यानि रेवेन्यू इंस्पेक्टर व पटवारी के द्वारा मौके , राजस्व रिकॉर्ड के नक्शे व मौके पर वास्तविक स्थिति के आधार पर , पुराने राजस्व के प्रमाणिक चिन्ह या चांदे के आधार पर , नाप कर उक्त भूमि की चतुर्सीमा निर्धारित करना होता है .
किसी भी प्रॉपर्टी का सीमांकन या जमीन का सीमांकन करवाना बहुत ही जरूरी होता है . जमीन के सीमांकन से यह सुनिश्चित हो जाता है कि जमीन की पूरी सीमा क्या है और जमीन कहां से , कहां तक है . सीमांकन की जरूरत जब होती है जब आपको आपके प्रॉपर्टी की चतुर्थ सीमा का पता न हो अगर आप अपनी प्रॉपर्टी या जमीन की चौहद्दी नहीं जानते है तो आपको अपनी प्रॉपर्टी का सीमांकन जरूर करवाना चाहिए.
अगर आप किसी प्रॉपर्टी को किसी से खरीदते है या फिर कोई प्रॉपर्टी आपको हिस्से में मिलती है और आपको उस प्रॉपर्टी के बारे के नहीं पता है कि उस जमीन का एरिया कितना है ? उसकी चौहद्दी कितनी है ? उसकी चतुर्थ सीमा क्या है? उसकी सीमा क्या है ? तब तक आप को उसके बारे में कुछ पता नहीं होता है जमीन या प्रॉपर्टी की यही सभी जानकारी जमीन या प्रॉपर्टी के सीमांकन से ही पता चलती है .
सीमांकन , सामन्यतः भूमि के मालिक के अधिकार यानि भूमि की चतुर्सीमाओं को मौके पर स्थापित कर उसकी स्थिति की गारंटी देने के लिए किया जाता है। यह मालिक के अधिकार के तहत क्षेत्र की , मौके पर वास्तविक सीमा को स्थापित करता है . दो या अधिक भूमि स्वामियों के विवाद को विधिवत आवेदन पर राजस्व विभाग द्वारा हल करने , उनकी भूमियों की सीमाओं को तय करने , राजस्व विभाग द्वारा भी सरकारी संपत्तियों की सीमांकित सीमाओं के संरक्षण को सुनिश्चित करना और आक्रमणकारियों को दूर रखने के लिये भी सीमांकन किया जाता है .
भूमि का सीमांकन करवाने की प्रक्रिया क्या है
सीमांकन की प्रक्रिया के लिये अपने क्षेत्र के तहसीलदार कार्यालय में जाएं एवं लोकसेवा केंद्र में संपर्क कर सबसे पहले कृपया निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. उक्त भूमि का खसरा नक्शा व नक़ल की सत्यापित प्रति ‘ भुइयां रिकोर्ड ‘ के अनुसार लेने के लिये आवेदन करें . इसके लिये जिस खसरे का सीमांकन करवाना है , उसकी जानकारी पूरी जानकारी देकर आवश्यक आवेदन व फीस भर , सत्यापित प्रति मांगें . निर्धारित समय के बाद उस सत्यापित खसरा नक्शा व नक़ल प्राप्त करें .
2. अब निर्धारित आवेदन फॉर्म में , आवेदक या मालिक का नाम पता भूमि का पता / खसरा नक्शा , नक़ल , रजिस्ट्री की कॉपी , आधार कार्ड व और आवश्यक विवरण, अपनी भूमि की चारो सीमाओं का हवाला देकर सीमांकन के लिए एक आवेदन करें . इसके साथ सीमांकन के शासकीय शुल्क को , जो निर्धारित हो , चालान के रूप में , अवश्य जमा करें . तहसीलदार कार्यालय के द्वारा उस स्थानीय आरआई (राजस्व निरीक्षक) कार्यालय को नोटिस भेजा जाता है जिसके अधिकार क्षेत्र की भूमि के लिये आप सीमांकन के लिए आवेदन कर रहे हैं। एक बार यह सत्यापित हो जाने के बाद स्थानीय आरआई आपके आवेदन की पुष्टि करने के लिए आपके मोबाइल नंबर या आपके डाक पते पर आपसे संपर्क करता है। इसकी पुष्टि होने के बाद स्थानीय आरआई कार्यालय से एक विशिष्ट तिथि पर अपनी भूमि का सीमांकन करने के लिए लिखित सूचना पत्र आसपास के भू स्वामियों को सौंपा जाता है / चस्पा कराया जाता है या अखबार में छपवाकर आम सूचना प्रकाशित कराई जाती है कि उक्त दिन पर राज्स्व विभाग के पटवारी / अनुदेशक , इलाके के नक्शे के साथ आएंगे और उपकरणों और उपायों के साथ वह भूमि का सीमांकन करेंगे। अनेक बार सीमा के साथ-साथ रेखा खींचने और एक अस्थायी सीमा का निर्माण करने के लिए चूना पत्थर पाउडर रखने की सिफारिश की जाती है .
3. निर्धारित तिथि पर आरआई/ पटवारी/ अनुदेशक स्थल पर उपस्थित होकर , पटवारी चेन , नापने के टेप या किसी अन्य विधि से ज़मीन का नाप करते हैं. ज़मीन की सीमा में किसी प्रकार का कोई संदेह या त्रुटि होने पर राजस्व के पूर्व निर्धारित चिन्ह या चांदा इत्यादि से नाप कर तसल्ली करते हैं और नाप के वक़्त मौके पर उपस्थित लोगों से पंचनामा (यानि की नाप के वक़्त पंच की तरह उपस्थिति मानकर ) पर हस्ताक्षर कराया जाता है .
4. इसके बाद आरआई व पटवारी , मौके अपने द्वारा नापे गये रिकॉर्ड को , फिर से अप्ने राज्स्व रिकॉर्ड से मिलान करते हैं ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि ना होवे . उसके बाद अपनी सीमांकन रिपोर्ट नायब तहसीलदार के पास ज़मा करा देते हैं . जिसकी नक़ल , पुनः आवेदन कर प्राप्त की जाती है
5. सीमांकन के वक़्त आसपास का व्यक्ति , भू-स्वामी आ उपस्थित अन्य व्यक्ति , अपनी आपत्ति लगा सकता है परंतु वह किसी प्रकार से रोक या व्यवधान नहीं कर सकता है . यदि आपत्ति का आधार मज़बूत होता है तो उसको निराकृत करने के लिये कई बार पुनः मौके पर जाकर , सीमांकन की कार्यवाही की जाती है .
इस तरह के पूरे कार्य करवाने के लिये संपर्क करें