Najul

नगर पलिका निगम से अनुमति लेना

नगर पालिका निगम , नगर पालिका , नगर पंचायत या ग्राम पंचायत , भारत में एक स्थानीय सरकार है जोकि आबादी के आधार पर क्षेत्रों का प्रशासन करती है। छत्तीसगढ़ में दस हज़ार से कम की जनसंख्या में क्षेत्र के एक गांव या कई गांवों को जोड़कर ग्राम पंचायत , दस हज़ार से अधिक आबादी में नगर पंचायत , बीस हज़ार से अधिक जनसंख्या में नगर पंचायत से नगर पालिका व एक लाख से अधिक आबादी में नगर पालिका निगम का गठन किया जाता है . भारत के विभिन्न शहरों में बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण को एक स्थानीय शासी निकाय की आवश्यकता थी जो राज्य सरकार से संपत्ति कर और निश्चित अनुदान एकत्र करके स्वास्थ्य देखभाल, शैक्षणिक संस्थान, आवास, परिवहन आदि जैसी आवश्यक सामुदायिक सेवाएं प्रदान करने के लिए काम कर सके। इसका एक प्रमुख कार्य , मनमानी तरह से हो रहे अनियमित निर्माण व विकास को रोक , उन्हें नगर तथा ग्राम निवेश के मास्टर प्लान व अन्य नियमों के तहत ही इन कार्यों को होने देना है . सरल शब्दों में बोला जाये तो किसी भी तरह के निर्माण व विकास की अनुमति/ सूचना/ अनुशंसा इत्यादि इस स्थानीय निकाय से लेनी होती है ,

एक तरह से स्थानीय स्तर पर मौके पर हो रही निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण नगर निगम ही करता है , बिना अनुमति निर्माण , अनुमति से अधिक निर्माण , अविधिक निर्माण , अतिक्रमण इत्यादि पर कानूनी कार्यवाही, आर्थिक दंड , पेनाल्टी या तोड़- फोड़ करने का अधिकार नगर पालिका निगम को रहता है .

सरलतम शब्दों में यदि कहें तो किसी भी ग्राम या शहर में किसी भी तरह की विकास योजना के लिये विकासकर्ता को टाउन प्लानिंग से अनुमति लेनी होती है . टाउन प्लानिंग , मास्टर प्लान व समस्त मापदंडों को ध्यान में रखते हुए विकास अनुज्ञा प्रदान करता है .

विभिन्न तरह की आवासीय , औद्योगिक विकास वाणिज्यिक, सार्वजनिक एव अर्ध सार्वजनिक अनुज्ञा हेतु आवेदन के लिये नगर निगम की वेबसाइट से आवेदन पत्र के साथ संलग्न किये जाने वाले दस्तावेज , फीस व अन्य जानकारी ले सकते हैं

MUNICIPAL CORPORATION RAIPUR

http://nagarnigamraipur.nic.in/

MUNICIPAL CORPORATION BHILAI

http://www.bhilainagarnigam.com

नजूल क्या है , इसका महत्व क्या है

अंग्रेज़ों के शासंकाल में 1892 का ऐतिहासिक बंदोबस्त संपन्न हुआ था । तब समूचे कालखंड में विद्रोहियों की जो भूमि सरकार के कब्जे में आयी वह नजूल की जमीन कहलाई गई थी . वर्तमान में बोलचाल की भाषा में नजूल भूमि का अर्थ यह होता है कि नगर की वह भूमि जिस पर सरकार के राजस्व विभाग का अधिकार हो . कानून के हिसाब से तो नजूल की जमीन सरकार की होती है पर उसके लिये नियम व कानून अलग होते हैं . इस ज़मीन को सरकार आबंटित कर सकती है या फिर वहां काम करने का लाइसेंस दे सकती है . कब्ज़ेदार उस भूमि का नजूल नियमानुसार उपयोग कर सकता है परंतु वह ज़मीन सरकार की ही रहती है . सरल शब्दों में कहा जाये तो नजूल जमीन सरकारी होती है इसलिए इसे बेचा नहीं जा सकता, जब तक कि यह फ्री-होल्ड न हो जाए. आप उसको इंजॉय कर सकते हैं, लेकिन इस पर मालिकाना हक नहीं जता सकते. वैसे पुराने शहरों में नजूल की आबंटित भूमि की बिक्री रजिस्ट्री होकर नियमानुसार पट्टे का नामंतरण होता है .

छ.ग. के अनेक शहरों में आबादी वाली जगहों पर नजूल की ज़मीनें हैं . उनमें से कई बिना उपयोग पड़ी हुई हैं व कई ज़मीनों पर कई अविधिक कब्ज़ेदार भी हैं . इसलिये अनेकशहरी क्षेत्र में विकास या निर्माण के पहले नजूल विभाग से भी अनुमति लेनी होती है .

 

 

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