Namantran
नामांतरण क्या होता है , नामांतरण कैसे होता है , उसके लिये आवश्यक दस्तावेज कौन से होते हैं
नामांतरण – जब भी कोई किसान या व्यक्ति कोई भूमि खरीदता है या बेचता है या किसी प्रोपर्टी या संपत्ति का स्वामी या मालिक की म्रत्यु हो जाती है तो उस भूमि या संपत्ति के अधिकारों को पंजीकृत किया जाता है जिसे राजस्व अभिलेखों में शाशकीय रूप में दर्ज किया जाता है जिसे नामांतरण कहते है . सामान्यता इसे नामांकरन या दाखिल ख़ारिज भी कहा जाता है .
फौती नामांतरण – खातेदार की मृत्यु होने के उपरांत जिन वारिसों ने अपना हक त्याग कर दिया है उन्हें छोड़ कर शेष वैध वारिसों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जाने को कहते हैं .
कुल मिलाकर किसी के भी नाम से भूमि या संपत्ति को सरकारी भू अभिलेख में चढ़ाने की प्रक्रिया ही नामांतरण या नाम चढवाना कहलाती है .
भूमि या संपत्ति सम्बन्धी अभिलेख जैसे खसरा खतोनी ऋण पुस्तिका ये सभी दस्तावेज , राजस्व अभिलेख कहलाते है. इन्ही में हमारे स्वामित्व सम्बंधित प्रविष्टी रहती है जो यह प्रमाणित करती है की हमारे पास कितनी भूमि है और वह कहा कहा है और किसी भी शासकीय योजना या बैंक सम्बन्धी लाभ लेने के लिए इनकी आवश्यकता पड़ती है या जब हमें इनका क्रय विक्रय करना होता है .
पंजीकृत विलेख यानि कि रजिस्ट्री हो जाने के बाद से जब तक राजस्व न्यायालय से उस भूमि का दाखिल ख़ारिज नहीं हो जाता तब तक उस भूमि के अधिकृत स्वामी आप नहीं हो सकते और न ही आपका नाम अभिलेख जैसे खसरा खतोनी एवं ऋण पुस्तिका में आपका नाम नहीं हो सकता .
नामांतरण कई प्रकार के होते है जैसे – क्रय विक्रय ,फोती नामांतरण , वसीयत , हक़ त्याग , न्यायालय की डिक्री के आधार पर , नाबालिग से बलिग होने पर
नामांतरण कैसे होता है व उसके लिए आवश्यक दस्तावेज
आजकल यह प्रक्रिया ऑनलाइन होती है इसलिए ऑनलाइन कार्य हेतु सिर्फ आवेदक का आवेदन, जिस आधार पर नामांतरण किया जाना है उसकी एक प्रति , रजिस्ट्री , खसरा – खतोनी , आधार कार्ड और यदि फोती नामांतरण है तो मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र एवं मृतक के वारिसों का उत्तराधिकर पत्र
शासन की ऑनलाइन सेवा जैसे लोकसेवा केंद्र आदि से सीधे आवेदन किया जा सकता है एवं उसकी पावती प्राप्त कर निर्धारित तिथि को उपस्थित होकर अपने मूल दस्तावेज तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत करें .
नामांतरण के बाद की प्रक्रिया
भूमि या सम्पन्ति का नामांतरण हो जाने के बाद आपके राजस्व रिकॉर्ड जैसे खसरा , खतोनी एवं ऋण पुस्तिका को भी दुरुस्त करना होता है . इसमें राजस्व न्यायलय से नामांतरण का आदेश हो जाने के बाद न्यायलय द्वारा ही कंप्यूटर खसरा व खतोनी में रिकॉर्ड फीड किया जाता है एवं ऋण पुस्तिका हेतु शासकीय शुल्क चालान के रूप में जमा करना होती है .
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