Verified Khasra Naksa Nakal
खसरा नक्शा , नक़ल , ऋण पुस्तिका व बटांकन
भूलेख खसरा क्या है ?
खसरा राजस्व विभाग का मूल भू- अभिलेख है, जिसमें भूमिस्वामी की भूमि का खसरा नम्बर एवं क्षेत्रफल तथा अन्य जानकारी रहती है। जिसका उपयोग भारत में किसी भी कृषि भूमि और फसल की जानकारी के लिए किया जाता है।
इसका उपयोग शजरा नामक दस्तावेज में होता है (शजरा किश्तवार), जो कि गाँव का निर्धारित मैप होता है, यह उस जगह के क्षेत्रफल और वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को निर्धारित करता है।
खसरा में मुख्य रूप से “सभी क्षेत्र और उनका एरिया, नाप, मालिक और किस किसान के द्वारा वहां खेती की जाती है, क्या फसल उगाई जाती है, किस तरह की मिट्टी है, कौन से पेड़ उस क्षेत्र में लगे हैं, वहां की स्थिति और क्षेत्रफल से लेकर वहां के वातावरण आदि की सारी जानकारी उपलब्ध होती है।
सभी प्रकार की जमीनों के खसरे ऑनलाइन हैं। आप जन सुविधा केंद्र में जाकर खसरे की ऑनलाइन प्रति ले सकते हैं, हालांकि यदि आप चाहें तो खसरे की ऑनलाइन प्रमाणिक प्रति भी ले सकते हैं। जिसका आप किसी भी सरकारी विभाग में उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि कुछ राज्यों में खसरे की ऑनलाइन प्रमाणिक प्रति उपलब्ध नहीं है, इसलिए इनका प्रिंट आउट निकाल कर इसको प्रमाणित करने के लिए पटवारी के पास जाना पड़ता है।
एक भूमिस्वामी के पास खसरो की संख्या एक से अधिक भी हो सकती है जो उसकी ऋण-पुस्तिका में लिखी होती है . प्रत्येक खसरे का एक रकबा ( क्षेत्रफल नाप )होता है . पहले के समय में यह जानकारी हस्तलिखित रिकॉर्ड में हलके के कर्मचारी पटवारी के पास होती थी. जिसे किसान कभी भी देख सकते थे किन्तु उन्हें पटवारी के पास जाना पड़ता था . आज छ.ग. मे अधिकतर जगहों के रिकॉर्ड इन्टरनेट पर ‘ भुइयां ‘ नाम की वेबसाइट पर है . कोई भी भूमि स्वामी किसी भी समय अपना रिकॉर्ड घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर से देख सकता है.
कंप्यूटर खसरे के सबसे ऊपर लिखा होता है कि भूमि किस तहसील की है एवं कौन सा राजस्व मंडल है व कौन सा पटवारी हल्का है . खसरे में कुल 12 कॉलम होते है जिसमे कॉलम 1 में खसरा नम्बर , कॉलम 2 में खसरा का रकबा ,कॉलम 3 में किसान का नाम एवं उस रकबे का राजस्व , कॉलम 5 में बोई गई फसल का नाम ,कॉलम 6 में बोई गई फसल का रकबा, कॉलम 12 में उस खसरे में स्थित सिचाई की स्थिति ,बैंक के कर्ज की जानकारी ,पेड़ पोधो की जानकारी .
खतौनी (बी-1) / जमाबंदी क्या है ?
सामान्यता यह राजस्व रिकॉर्ड का मुख्य अभिलेख होता है जिस प्रकार से भू अधिकार ऋण पुस्तिका या पट्टा में किसी किसान की सम्पूर्ण भूमि का ब्यौरा होता है उसी प्रकार खतोनी में सम्पूर्ण भूमि का ब्यौरा लिखा होता है साथ ही कुल भू राजस्व का विवरण होता है .
खतौनी एक प्रकार का भूमि अभिलेख है जो एक क़ानूनी दस्तावेज है, इसमें किसी एक भूमिस्वामी के सारे खसरों का एक जगह पर ब्यौरा होता है,
यह पटवारी के द्वारा बनाया जाता है या उनके द्वारा रखा जाता है। इसमें किसी भी जमीन का विवरण, उसका क्षेत्र और अलग-अलग मदों की अलग-अलग खाते वाली बही होती है,
खतौनी को विभिन्न क्षेत्रों की अलग अलग खाते वाली बही कहा जा सकता है,
खतौनी द्वारा किसी भी क्षेत्र की स्थिति और उसका पूरा विवरण प्राप्त किया जा सकता है,
खसरा व खतोनी में अंतर क्या है –
अंतर यह है कि खसरा में किसी किसान के पास किसी गाँव में कई क्षेत्रो में अलग अलग भूमि होती है जिनके नम्बर अलग अलग होते है जिन्हें खरा नम्बर कहते है किसी एक खसरा नम्बर की जानकारी एक खसरा पेज में होती है किन्तु खतोनी में उस गाँव के सभी नम्बरों का हवाला एक जगह होता है .
शजरा (जमीन का नक्शा) क्या है
शजरा किसी गांव के जमीन का नक्शा होता है, जिसमें जमीन को कई छोटे-छोटे टुकड़े में बांटकर हर एक टुकड़े को एक नंबर दे दिया जाता है।
यह गांव के क्षेत्रफल और वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को निर्धारित करता है।
अब सभी प्रकार की जमीनों के नक़्शे ऑनलाइन हैं। जन सुविधा केंद्रों में बड़ी आसानी से इनकी कॉपी प्राप्त की जा सकती है।
गौरतलब है कि यदि नक्शे का किसी सरकारी काम के लिए उपयोग करना है तो इसके लिए नक़्शे की प्रमाणित प्रति ही मान्य होती है।
खसरा, खतौनी और नक्शे का उपयोग क्या है
जमीन की रजिस्ट्री कराने पर इसकी आवश्यकता पड़ती है,
किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए इन दस्तावेजों की जरुरत पड़ती है,
किसी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए इनकी आवश्यकता पड़ती है,
ये दस्तावेज जमीन पर आपके मालिकाना हक का सबूत भी हैं
भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका क्या होती है
जिस प्रकार से किसी व्यक्ति के किसी बैंक अकाउंट में पैसे के लेनदेन हेतु एवं उसके जमा एवं ब्याज का हिसाब रखने हेतु एक पुस्तिका होती है जिसे पासबुक कहते है ठीक उसी प्रकार पट्टा, भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका का कृषक के लिए वह आवश्यक दस्तावेज है जिसमे किसी विशेष हल्का में उस व्यक्ति के स्वामित्व की एक किताब होती है जिसमे उस हलके में धारित कुल भूमि का हिसाब एवं राजस्व लेनदेन का हिसाब होता है . भू अधिकार एवं ऋण पुस्तिका का एक निर्धारित क्रमांक होता है जिसे ऋण पुस्तिका क्रमांक कहते है . भूअधिकार एवं ऋणपुस्तिका में एक या कई किसानो का नाम एवं उनका उस भूमि में हिस्सा लिखा होता है एवं सम्बंधित किसान की फोटो लगी होती है . किसान की फोटो एवं रकबा तहसीलदार द्वारा प्रमाणित होना चाहिए तभी मान्य होती है . भू अधिकार एवं ऋण पुस्तिका )बनता कहा से है – जब किसी भी कृषक द्वारा कोई भूमि अपने पैत्रिक बटवारे , आपसी बटवारे ,वारसान नामांतरण , क्रय -विक्रय से प्राप्त होती है तो उसे यह पुस्तिका उसके तहसील कार्यालय से निर्धारित शासकीय शुल्क के बाद प्राप्त होती है .
राजस्व में नक़ल क्या होती है
राजस्व के किसी भी रिकॉर्ड की सत्यापित प्रति को नक़ल कहते हैं . ज़मीन के मामले में ज़्यादातर खसरा नक्शा व खसरा बी 1 की सत्यापित प्रति पटवारी द्वारा हस्ताक्षरित ( आजकल डिजिटल हस्ताक्षरित ) होती है . राजस्व प्रकरणों में यह रिकॉर्ड रूम से नक़ल शाखा में आवेदन लगाने पर , अन्य राजस्व अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होकर मिलती है